about us

मानवी त्रैमासिक साहित्यिक ई पत्रिका की शुरुवात जनवरी 2021 से साहित्य सेवा के संकल्प के रूप में हुई।
 
यह एक निःशुल्क साहित्यिक ई पत्रिका है , जिसका उद्देश्य साहित्य की सेवा करना है ।
 
हम सभी साहित्यकारों से इस पवित्र साहित्यिक यज्ञ में आहुति का आह्वान करते है ।
 
हम सबकी इस साहित्य यात्रा को समृद्ध करने के लिए आप सभी प्रतिष्ठित रचनाकारों नवानकुरों से सहयोग सुझाव का अनुरोध है।
 
पत्रिका की प्रधान संपादक कविता सिंह जी मूलतः एक कवियत्री है। पत्रिका के संकल्पना एवं स्थापना कविता सिंह जी और राजेश कुमार सिंह जी के द्वारा हुई है ।
 
राजेश कुमार सिंह, जो मूलतः गोरखपुर के निवासी है, पत्रिका के सम्पादन का कार्य देखते है । और बचपन से ही साहित्यक अभिरुची वाले है। जिनका जीवन ही साहित्य को समर्पित है।
 
पत्रिका अपने संरक्षक श्रीमती जानकी किशोरी देवी एवं श्री राम चंद्र सिंह की देखरेख में एवं कविता सिंह जी के स्वामित्व में गोरखपुर से प्रकाशित होती है।
 
आप सभी साहित्यनुरागी प्रेमियों /साहित्यकारों से “मानवी” त्रैमासिक ई पत्रिका के लिए साहित्य की सभी विधाओं यथा-कहानी, कथा, लघुकथा, लेख , निबंध , संस्मरण ,यात्रा संस्मरण,हास्य व्यंग्य (कविता/लेख/कहानी),समीक्षा, गीत, नवगीत, कविता ,नव कविता,दोहा छंद , मुक्तक ग़ज़ल हास्य कविता आदि समसामयिक रचनाएँ आमंत्रित हैं। आप अपनी रचनाएँ पर ई मेल manvipatrika@gmail.com भेज सकते है ।
 
रचना भेजते समय निम्न बातों का ध्यान रखें।

1. रचनायें केवल वर्ड फ़ाइल में ही उपरोक्त मेल पर ही भेंजे।

2. रचनायें यूनिकोड या कृतिदेव फॉन्ट में ही टाइप होनी चाहिए।

4. रचना के साथ एक पासपोर्ट आकार का छवि चित्र, संक्षिप्त परिचय,पता , अवश्य भेजें।

3. रचना भेजने से पहले कृपया प्रयोग किये गये शब्दों की शुद्धता अवश्य जांच लें।

5 .रचना के प्रकाशन और रचना में संशोधन का अधिकार संपादक मंडल का होगा ।संपादक मंडल का निर्णय मान्य अन्तिम एवं बाध्यकर होगा।

6 .एक बार में अपनी एक या दो ही उत्कृष्ट रचनाएं भेजे,और पत्रिका के प्रकाशन का इंतजार करें लगातार रचना भेजने का कोई तात्पर्य नहीं है।यह आप सबकी पत्रिका है और सबको प्रकाशित होने का अवसर दें।

7. यह एक अव्यवसायिक नि: शुल्क ई पत्रिका है, रचनाकारों को पारिश्रमिक देने का कोई प्रावधान नहीं है।